अनुच्छेद लेखन
श्रम का महत्त्व
श्रम का अर्थ है – मेहनत | किसी कार्य को अच्छी
तरह पूर्ण करने के लिए श्रम बहुत आवश्यक है | आलसी व्यक्ति जीवन में कुछ प्राप्त
नहीं कर पाता | जिनके लिए आराम ही महत्त्वपूर्ण है, उन्हें जीवन में कोई सुख
प्राप्त नहीं होता | वे सोचते हैं कि आराम ही सुख का अनुभव है, किन्तु वे नहीं
जानते कि इस तरह वे अपना समय व शरीर दोनों नष्ट कर रहे हैं | श्रम करने वाला
व्यक्ति जीवन में बहुत आगे बढ़ता है | वह परिश्रम करते समय कष्ट अवश्य उठाता है
किन्तु बाद में सफलता उसके कदम चूमती है | कठोर परिश्रम के पश्चात् उसे सुख अवश्य
प्राप्त होता है | नेहरु जी ने कहा है – “ आराम हराम है | “ इतिहास साक्षी है कि
सभी महापुरुषों ने श्रम को ही श्रेष्ठ माना है | श्रम के मार्ग पर चलकर ही सफलता
के खुशबूदार पुष्प प्राप्त होते हैं | मेहनत से डरकर बैठ जाने वाला व्यक्ति अंत
में बहुत पछताता है तथा पशुओं का – सा जीवन जीता है | श्रम के महत्त्व को जान लेने
वाला व्यक्ति कभी नहीं हारता तथा सदा प्रगति के पथ पर बढ़ता रहता है |
मधुर वचन औषधि समान
कबीर दास जी ने कहा है –
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आप खोय |
औरन को सीतल करे, आपहुं सीतल होय ||
अर्थात्, हमें सदा ऐसी वाणी का प्रयोग करना चाहिए
जिससे सामने वाले व्यक्ति के हृदय को प्रसन्नता प्राप्त हो | मीठी वाणी से बोलने
वाले तथा सुनने वाले, दोनों के मन को शीतलता प्राप्त होती है | कौवे की वाणी कड़वी
होती है, वह काँव – काँव चिल्लाता है, जिसके कारण उसे कोई भी पसंद नहीं करता | सब
उसे भगा देते हैं | इसके विपरीत कोयल की आवाज़ में मिठास होने के कारण सब उसे पसंद
करते हैं | कौवे तथा कोयल दोनों का रंग काला होता है किन्तु दोनों की आवाज़ में
बहुत अंतर है | कोयल को उसकी मीठी आवाज़ के कारण प्रेम किया जाता है, जबकि कौवे की
कर्कश (कठोर) आवाज़ के कारण उससे घृणा की जाती है | महुष्य के सन्दर्भ में भी ऐसा
ही है | जो व्यक्ति मधुर वचन बोलता है, उसकी तरफ सब आकर्षित होते हैं तथा जो
व्यक्ति कटु वचन बोलता है, उससे सब दूर भागते हैं | ऐसा कहा गया है कि मधुर वचन
औषधि (दवा) का काम करते हैं | बीमार मनुष्य को भी किसी के द्वारा बोले गए मीठे
वचनों से बड़ी राहत मिलती है | अतः हमें सदा मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए |
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