Wednesday 10 June 2020

BIHARI KE DOHE QUES ANS CLASS 10

बिहारी के दोहे

1. छाया भी कब छाया ढूँढने लगती है ?
उ. भीषण गर्मी में धूप से बचने के लिए छाया भी छाया ढूँढने लगती है |

2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है 'कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात' ?
उ. बिहारी की नायिका जब अपने नायक को पत्र लिखने बैठती है तो उसे अपने गहन प्रेम को अभिव्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिलते और किसी और व्यक्ति के हाथों संदेशा भिजवाने में उसे लज्जा आती है | उसके गहरे प्रेम का वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं इसलिए वह कहती है 'कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात' अर्थात हे प्रियतम तेरे हृदय में मेरे प्रति जो भाव हैं, वही भाव मेरे हृदय में भी तेरे प्रति हैं | तेरा मन मेरे मन की बात कहता है | इस प्रकार नायिका बहुत कम शब्दों में अपने हृदय के पूरे भाव पत्र में लिख देती है |

3. सच्चे मन में राम बसते हैं, स्पष्ट कीजिये |
उ. बिहारी लाल जी कहते हैं कि माला जपने, तिलक लगाने, घंटी बजाने, शंख बजाने, व्रत उपवास करने से कभी ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती | यदि मन दसों दिशाओं में भटकता रहे तो ऐसी भक्ति का  नहीं है | जिस मनुष्य के ह्रदय में पवित्रता, सच्चाई तथा प्रेम होता है वास्तव में ऐसे ही ह्रदय में ईश्वर बसते हैं |

4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा देती हैं ?
उ. गोपियाँ श्रीकृष्ण से अत्यंत प्रेम करती हैं | वे अधिक से अधिक समय तक उनका संसर्ग अर्थात साथ चाहती हैं | शाम होते ही जब श्रीकृष्ण घर लौटने लगते हैं तो गोपियाँ व्याकुल हो उठती हैं | वे सब थोड़ी देर और उन्हें अपने पास रोक लेना चाहती हैं | श्रीकृष्ण को अपनी बाँसुरी से बहुत प्रेम है | वे अपनी बाँसुरी के बिना एक पल भी नहीं रहते | गोपियाँ जानती हैं कि श्रीकृष्ण अपनी बाँसुरी लिए बिना घर नहीं जाएँगे | इसलिए वे उनकी बाँसुरी छिपा देती हैं ताकि इसी बहाने वे उन्हें थोड़ी देर और अपने पास रोक सकें तथा उनके साथ समय व्यतीत कर सकें | श्रीकृष्ण अपनी बाँसुरी माँगते रहते हैं तथा गोपियाँ बार - बार लौटाने से मना कर देती हैं | इसी बहाने गोपियाँ श्रीकृष्ण का संसर्ग पा कर तृप्त हो जाती हैं |

5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में   भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है ?
उ. नायक तथा नायिका सभी की उपस्थिति में बातचीत नहीं कर सकते इसलिए बिहारी के नायक व नायिका सभी नाते रिश्तेदारों से भरे हुए भवन में संकेतों द्वारा बातचीत करते हैं | नायक संकेतों द्वारा नायिका को मिलने के लिए कहता है, नायिका संकोचवश सिर हिलाकर मना कर देती है, नायक उसकी इस अदा पर रीझ जाता है, अत्यंत प्रसन्न हो जाता है, उसे इस प्रकार प्रसन्न होते देख नायिका खीझ जाती है अर्थात चिढ़ जाती है, इस प्रकार दोनों के नेत्र मिलते हैं और नायक का चेहरा ख़ुशी से खिल उठता है और नायिका लज्जा जाती है अर्थात शरमा जाती है |  प्रकार नायक तथा नायिका भरे हुए भवन में ही संकेतों  में प्रेमपूर्वक वार्तालाप (बातचीत) कर लेते हैं |

Thursday 4 June 2020

तताँरा वामीरो कथा प्रश्न उत्तर कक्षा 10

तताँरा वमीरो कथा

1. रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें, तब उनका टूट जाना ही अच्छा है | क्यों ? स्पष्ट कीजिये |
उ. परम्पराएँ मनुष्य के विकास के लिए आवश्यक हैं | मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह पशुओं की भांति परम्पराओं का निर्वाह किए बिना नहीं रह सकता | उसे सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों का ध्यान रखते हुए अपने व्यक्तित्व को परिष्कृत तथा विकसित करना होता है | तभी वह पशुओं से भिन्न होता है | किन्तु परम्पराओं के नाम पर कभी - कभी समाज उसे अनेक रूढ़ियों की बेड़ियों में बांध देता है | जैसे - विवाह एक परंपरा है | मानव समाज में स्त्री - पुरुष विवाह बंधन में बंधकर एक नवीन संसार रचते हैं | इससे वे नवीन सम्बन्धों को प्राप्त करते हैं तथा नयी जिम्मेदारियाँ ग्रहण करते हैं | किन्तु विवाह नामक परंपरा के साथ अनेक प्रकार की रूढ़ियाँ भी जुड़ी होती हैं | जैसे - दहेज प्रथा, अपनी ही जाति, भाषा, धर्म व स्तर के परिवार में विवाह करना आदि | यही सब रूढ़ियाँ उस समय व्यक्ति के जीवन पर बोझ बन जाती हैं जब वह अपने परिवार की नहीं, अपितु अपनी इच्छा से विवाह करना चाहता है | उस समय पूरा परिवार तथा पूरा समाज उसका विरोधी हो जाता है |ऐसे में कुछ लोग अपनी चाहतों को मारकर अपने बड़ों की बात मानकर विवाह कर लेते हैं या फिर कुछ लोग स्वयं को ही नष्ट कर लेते हैं | इस प्रकार की रूढ़ियाँ परम्पराओं के नाम पर व्यक्ति का जीवन नर्क कर देती हैं अतः उनका टूट जाना ही अच्छा होता है, ताकि व्यक्ति का समूचा विकास हो सके तथा वह प्रसन्नता से अपना जीवन व्यतीत कर सके |


यह उत्तर अपनी स्पर्श कॉपी में कीजिये |

इस पाठ के बाकी सारे प्रश्न उत्तर (लिखित तथा मौखिक) आप सबको खुद करने हैं |

Wednesday 27 May 2020

मीराबाई के पद प्र. उ. कक्षा 10

मीराबाई के पद

1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
उ. पहले पद में मीरा बाई ने हरि से विनती करते हुए कहा है कि - हे हरि ! आप समस्त संसार के कष्ट दूर करते हैं, आपने ही भरी सभा में वस्त्र बढ़ाकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की थी | आपने ही अपने परम भक्त नन्हें प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा करने तथा उसके दुष्ट पिता हिरण्यकश्यप के प्राणों का अंत करने के लिए नरसिंह अवतार लिया था | आपने ही नदी में डूबते हुए हाथी के प्राणों की रक्षा की थी तथा ऐरावत को मगरमच्छ के मुँह से बचाया था | हे ईश्वर ! मैं मीराबाई आपकी दासी हूँ | जिस प्रकार आपने इन सभी की रक्षा की ठीक उसी प्रकार मेरे भी सब दुख, क्लेश व कष्ट हर लीजिये |

2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?
उ. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं क्योंकि वे श्री कृष्ण से इतना प्रेम करती हैं कि वे उन्हें देखें बिना जीवित नहीं रह सकती इसलिए वे उनकी सेवा करना चाहती हैं ताकि इसी बहाने वे हर रोज़ उनके दर्शन प्राप्त कर सकें |

3. मीराबाई ने श्री कृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उ. मीराबाई श्री कृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि श्री कृष्ण मोर मुकुट धारण कर पीले वस्त्र पहनकर अत्यंत सुंदर लगते हैं | उन्होंने गले में वैजंती माला पहनी हुई है तथा मुरली बजाकर वृन्दावन में गाय चराते हुए वे अत्यंत मनमोहक प्रतीत होते हैं |

4. मीराबाई की भाषा शैली पृ. सं. 8 अंतिम तीन पंक्तियाँ |

5. वे श्री कृष्ण को प्राप्त करने के लिए क्या क्या कार्य करने को तैयार हैं ?
उ. मीराबाई श्री कृष्ण को पाने के लिए उनकी सेविका बनकर बाग - बगीचे लगाने, फुलवारी लगाने तथा वृन्दावन की सँकरी गलियों में उनका यशोगान करने के लिए तैयार हैं | मीराबाई श्री कृष्ण के दर्शन प्राप्त करने के लिए इतनी व्याकुल हैं कि वे उनके लिए कुछ भी कर सकती हैं |

Tuesday 26 May 2020

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा कक्षा 9

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा

इस पाठ के सभी प्रश्नों के उत्तर पाठ में से ढूंढकर आप सभी को स्वयं करने हैं | एक भी प्रश्न छूटना नहीं चाहिए |

पाठ संबंधी व्याकरण भाग व्याकरण कॉपी में करना है | यदि आपके पास व्याकरण कॉपी नहीं है तो साहित्य की कॉपी में भी कर सकते हैं |

विलोम शब्द
अनुकूल - प्रतिकूल
नियमित - अनियमित
आरोही - अवरोही
सुंदर - कुरूप
विख्यात - कुख्यात
निश्चित - अनिश्चित

रैदास के पद प्रश्न उत्तर कक्षा 9

रैदास के पद
प्रश्न उत्तर
1. पहले पद में भगवान और भक्त की जिन - जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिये |
उ. पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना निम्नलिखित चीजों से की गई है -
     भगवान - चन्दन, बादल, चाँद, दीपक, मोती तथा स्वामी
     भक्त - पानी, मोर, चकोर, बाती, धागा तथा दास

2. यह उत्तर खुद करना है | पद में से तुकांत शब्द यानि कि rhyming words लिखने हैं |

3. दूसरे पद में कवि ने गरीब निवाजु किसे कहा है ? स्पष्ट कीजिये |
उ. दूसरे पद में कवि ने गरीब निवाजु ईश्वर को कहा है |

4. दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिये |
उ. इस पंक्ति का यह अर्थ है कि जिस मनुष्य को सारा संसार तुच्छ समझता है, अछूत समझता है, छूने से डरता है, हे मेरे ईश्वर ! उनपर आप ही अपनी कृपा बरसाते हो |

5. 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन - किन नामों से पुकारा है ?
उ. रैदास ने अपने स्वामी को इन नामों से पुकारा है - प्रभु जी, लाल, गरीब निवाजु, गुसईया, गोबिन्दु, हरि |


Friday 8 May 2020

प्रश्न उत्तर दुख का अधिकार कक्षा 9

1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है ?
उ. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसके दर्जे व अधिकार का पता चलता है |

2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था ?
उ. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि एक दिन पहले उसके जवान पुत्र की मृत्यु हुई थी, उसके घर में सूतक था |

3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा ?
उ. उस स्त्री को देखकर लेखक को उसपर दया आई तथा उनका मन किया कि वे उससे उसके दुख का कारण पू छें |

4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था ?
उ. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु खेत में एक साँप के काटने के कारण हुई थी |

5. बुढ़िया को कोई भी उधार क्यों नहीं देता ?
उ. बुढ़िया को कोई भी उधार इसलिए नहीं देता क्योंकि उसके इकलौते कमाऊ पुत्र की मृत्यु हो चुकी थी और घर में  कमाकर उधार चुकाने वाला कोई भी नहीं था |

6. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है ?
उ. पोशाक किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है | उसकी पोशाक को देखकर पता चलता है कि वह समाज के किस वर्ग व श्रेणी का है तथा साथ ही पोशाक तन ढँकने के काम भी आती है |

7. पोशाक हमारे लिए कब बंधन औरअड़चन बन जाती है ?
उ. जब हम निचली श्रेणियों में ज़रा झुककर उनके कष्ट जानना तथा समझना चाहते हैं, तब हमारी कीमती पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है |

8. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया ?
उ. लेखक बाज़ार में रोती हुई उस स्त्री से उसके रोने का कारण जानना चाहता था, किन्तु उसके झुकने में उसकी कीमती पोशाक रुकावट बन रही थी | उसे लगा कि यदि उसने झुककर उस स्त्री से बात की तो उसकी कीमती पोशाक देखकर लोग क्या कहेंगे |

9. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था ?
उ. भगवाना किसी की डेढ़ बीघा ज़मीन पर सब्जियाँ उगाता था तथा उन्हें बाज़ार में बेचकर अपने परिवार का पालन - पोषण किया करता था |

10. लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन ही बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चली गई ?
उ. लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन ही बुढ़िया खरबूजे बेचने इसलिए चली गई क्योंकि उसकी बहू को तेज़ बुखार था तथा उसके पोता - पोती भूख से बिलख रहे थे | उसे बहू कि दवाइयों तथा बच्चों के भोजन के लिए कुछ पैसों की आवश्यकता थी |

11. बुढ़िया को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई ?
उ. बुढ़िया को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की भी मृत्यु हो चुकी थी जिसके शोक में वह अढ़ाई मास तक रोती रही तथा बिस्तर से उठ न सकी | जबकि खरबूजे बेचने वाली स्त्री पुत्र की मृत्यु के दूसरे दिन ही बाज़ार में खरबूजे बेचने आ गई क्योंकि वह गरीब थी और उसके पास शोक मनाने का समय नहीं था |

12. बाज़ार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के संबंध में क्या - क्या कह रहे थे ?
उ. इस प्रश्न का उत्तर स्वयं लिखिए |

13. पास - पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला ?
उ. स्वयं लिखिए |

14, लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या - क्या उपाय किए ?
उ. स्वयं लिखिए |

15. लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाज़ा कैसे लगाया ?
उ. उस बुढ़िया के दुख का अंदाज़ा लगाने के लिए लेखक को अपने पड़ोस की एक संभ्रांत महिला की याद आ गई जिसने अपने पुत्र की मृत्यु पर अढ़ाई महीने तक शोक मनाया | वह पुत्र की याद में निरंतर रोती रहती और रो - रो कर बार - बार बेहोश हो जाती थी | तब उसके दुख को याद कर लेखक यह समझ पाया कि माँ चाहे अमीर हो या गरीब, संतान के खोने का दुख सबको समान होता है | इस प्रकार उसने खरबूजे बेचने वाली स्त्री के दुख का अंदाज़ा लगाया |

16. इस पाठ का शीर्षक 'दुख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिये |
उ. इस पाठ में दो माँओं का चित्रण किया गया है | दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो जाती है | संतान की मृत्यु का दुख प्रत्येक माँ के लिए एक समान होता है | किन्तु इस कहानी में संभ्रांत महिला अपने पुत्र की मृत्यु का शोक पूरे अढ़ाई महीनों तक मनाती है क्योंकि उसके पास पर्याप्त धन है, वहीं दूसरी खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया अपने पुत्र को खोने के बावजूद एक दिन भी उसकी मृत्यु का शोक नहीं मना पाती क्योंकि वह बहुत गरीब होती है और उसे खाने तथा अपनी बीमार बहू की दवाइयों के लिए पैसे जुटाने होते हैं | इसलिए वह असहनीय दर्द में होते हुए भी खरबूजे बेचने बाज़ार आ जाती है | उसे जानने वाले भी उसकी सहायता करने की अपेक्षा उसे भला बुरा कहते हैं | समाज की इस विडम्बना को देखते हुए लेखक ने इस कहानी का नाम ' दुख का अधिकार ' बिलकुल सही और सटीक रखा है क्योंकि हम ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ धनी व्यक्ति को तो दुख मनाने का पूरा अधिकार है किन्तु निर्धन को नहीं |

Wednesday 15 April 2020

पाठ 2 लाख की चूड़ियाँ प्रश्न उत्तर कक्षा 8

पाठ - 2 लाख की चूड़ियाँ

प्रश्न उत्तर

प्र. 1. बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को 'मामा' न कहकर 'चाचा' क्यों कहता था ?

उ. बदलू एक मनिहार था | वह लेखक के मामा के गाँव का था तथा वह लेखक को लाख की रंग - बिरंगी गोलियाँ बनाकर देता था | इसलिए लेखक अपने मामा के गाँव में चाव से जाता था | उनके मामा के गाँव में सब बदलू को काका कहकर पुकारते थे इसलिए अन्य बच्चों के साथ लेखक ने भी बदलू को काका कहकर पुकारना शुरू कर दिया |

प्र. 2. वस्तु - विनिमय क्या है ? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है ?

उ. वस्तु विनिमय का अर्थ है एक वस्तु के बदले पैसे न देकर कोई दूसरी वस्तु देना | जैसे - चूड़ियों के बदले आटा, दाल, चावल, चीनी आदि देना |

प्र. 3 'मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिये हैं |' इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है ?

उ. मशीनों के प्रचलन में आने से एक मशीन सौ - सौ व्यक्तियों का कार्य अकेले कर लेती है और उसे चलाने के लिए एक या दो व्यतियों की आवश्यकता होती है | इस प्रकार कम से कम 98 लोग बेरोज़गार हो जाते हैं | इस प्रकार संसार के न जाने कितने ही कारखानों में बढ़ती मशीनों के कारण अनेक व्यक्तियों का रोज़गार छिन रहा है | यही कारण है कि लेखक ने लिखा है कि इस मशीनी युग ने न जाने कितने ही हाथ काट दिये हैं |

प्र. 4 बदलू के मन की कौन सी व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी ?

उ. बदलू इस बात से दुखी था कि शहरों के साथ - साथ अब गाँव में भी सबने काँच की चूड़ियाँ पहननी शुरू कर दी जिसकी वजह से वह और उसके जैसे अनेक लोग बेरोज़गार हो गए थे | उसका यह दुख उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था | लेखक ने उसके मन की इस व्यथा का पता उसके दुखी चेहरे को देख कर लगा लिया था |

प्र. 5 मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया ?

उ. मशीनी युग के कारण गाँव की सभी स्त्रियों ने लाख की अपेक्षा काँच की चूड़ियाँ पहननी शुरू कर दी थी | इसकी वजह से बदलू द्वारा बनाई गई लाख की चूड़ियों को खरीदना सबने बंद कर दिया था और बदलू का व्यवसाय बंद पड़ गया था | वह और गरीब हो गया था किन्तु फिर भी उसने हार मानकर काँच की चूड़ियों को नहीं अपनाया |


श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कक्षा 9

श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द


प्र. श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द किन्हें कहते हैं ?
उ. श्रुतिसमभिन्नार्थक - यह शब्द चार शब्दों के योग से बना है -
     श्रुति (सुनना) + सम (समान) + भिन्न (अलग - अलग) + अर्थक (अर्थ वाले)
     अर्थात जो शब्द सुनने में समान लगते हैं किन्तु उनके अर्थ अलग - अलग होते हैं, वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द       कहलाते हैं |

कुछ श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द -

1. नियत (निश्चित) - हमारे घर में पूजा के लिए आज का दिन नियत किया गया |
    नीयत (इरादा) - हमें अपनी नीयत हमेशा शुद्ध रखनी चाहिए |

2.खोलना (बंधनमुक्त करना) - पिंजरे का दरवाजा खोल दो, पक्षी को उड़ने दो |
   खौलना (उबलना) - पतीली में पानी खौल रहा है |

3. गिरि (पर्वत) - गिरि से झरना बहता है |
    गिरी (गिरना) - मुझे तुम्हारी पुस्तक कक्षा में गिरी हुई मिली थी |

4. वात (हवा)- बहुत तेज़ वात चल रही है |
    बात (बातचीत) - हमें कक्षा में बात नहीं करनी चाहिए |

5. तरणि (सूर्य) - सुबह तथा शाम के समय तरणि का रंग लाल होता है |
    तरणी (नाव) - मैं तरणी में बैठकर नदी के उस पार गया था |

6. लक्ष (लाख) - मेरे मामाजी ने कौन बनेगा करोड़पति में बारह लक्ष पचास हज़ार रुपए जीते |
    लक्ष्य (निशाना) - लक्ष्य की ओर निशाना साधो |

7. चरम (सबसे अधिक) - वह सफलता के चरम पर है |
     चर्म (चमड़ा) - उसने चर्म के जूते पहने हैं |

8. इति (समाप्त) - इस फिल्म की यहीं पर इति होती है |
    ईति (भय)-ईति किसी भी समस्या का समाधान नहीं|

9. अचार (खाने की खट्टी वस्तु) - मुझे आम का आचार बहुत पसंद है |
    आचार (व्यवहार) - उसका आचार बहुत अच्छा है |

10. बली (शक्तिशाली) - हनुमानजी अत्यंत बली थे |
      बलि (बलिदान) - हमें पशुओं की बलि नहीं देनी चाहिए |

11. अविराम (लगातार) - कल सुबह से अविराम वर्षा हो रही है |
      अभिराम (सुंदर) - श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अभिराम था |

12. व्रत (उपवास) - आज मेरी माताजी का व्रत है |
      वृत्त (घेरा) - इन पौधों के चारों ओर एक वृत्त बना दो |

13. अंबर (आकाश)- अंबर में तारे चमक रहे हैं |
       अंबार (ढेर) - उसके पास तरह - तरह की पुस्तकों का अंबार है |

14. कंगाल (गरीब) - मोहित की बीमारी में इतना पैसा खर्च हुआ कि अब वह कंगाल हो गया |
       कंकाल (हड्डियों का ढाँचा) - उस गरीब ने न जाने कब से भोजन नहीं किया, बिलकुल कंकाल हो गया है |

15.कृपण (कंजूस) - मदन बहुत कृपण है, इतना धन होने पर भी किसी को एक पाई तक नहीं देता |
     कृपाण (कटार) - उसने धारदार कृपाण से रस्सी को एक झटके में ही काट डाला |

वर्ण विचार : कक्षा 8



https://youtu.be/zS-Tlum0ENE


वर्ण विचार पर आधारित विडियो देखें और निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें |



1. वर्ण किसे कहते हैं ?
2. वर्ण के कितने भेद हैं ? नाम लिखिए ।
3. स्वरों के कितने भेद हैं ? नाम लिखिए ।
4. ह्रस्व स्वर किन्हें कहते हैं ? उदाहरण लिखिए ।
5. दीर्घ स्वर किन्हें कहते हैं ? उदाहरण लिखिए ।
6. कौन से स्वरों को अयोगवाह कहा जाता है ?
7. हिन्दी में कितने व्यंजन हैं ?
8. व्यंजनों में कौन से पाँच वर्ग हैं ? नाम तथा उदाहरण लिखिए ।
9. पंचमाक्षर क्या होते हैं ? प्रत्येक वर्ग का पंचमाक्षर उसके सामने लिखिए ।
10. संयुक्त व्यंजन किन्हें कहते हैं ? हिन्दी में कितने संयुक्त व्यंजन हैं ? नाम लिखिए तथा प्रत्येक संयुक्त व्यंजन के दो दो उदाहरण लिखिए।
11. ड तथा ड़ और ढ तथा ढ़ से दो दो शब्द लिखिए ।


Sunday 12 April 2020

पर्यायवाची शब्द और विलोम शब्द - कक्षा 9



भाषा और लिपि : कक्षा -8



https://youtu.be/7qp68xh23mg

Children, please watch my video on BHASHA and LIPI, available in the above link and write notes on the subject.

WORKSHEET ON ALANKAR CLASS 10

                                                               कार्यपत्रिका - अलंकार

निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में अलंकारों के भेद पहचानिए |

1. कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि
2. पीपल पात सरिस मन डोला
3. मेघ आए बड़े बन - ठन के सँवर के
4.बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा, सुरुचि सुबास सरस अनुरागा |
5. मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहौं
6. प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
7. शशि मुख पर घूँघट डाले, अंचल में दीप छिपाए |
8. कोटी कुलिस - सम वचन तुम्हारा |
    व्यर्थ धरहु धनु बाण कुठारा ||
9. कर कानन कुंडल मोर पखा, उर पर बनमाल बिराजती है |
10. माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर |
      कर का मनका डारि दे, मनका मनका फेर ||
11. काम - सा रूप, प्रताप दिनेश - सा |
     सोम - सा शील है राम महीप का ||
12. मुख बाल रवि सम लाल होकर
13. सागर के उर पर नाच - नाच करती हैं लहरें मधुर गान |
14. उषा सुनहरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी - सी उदित हुई |
15. तीन बेर खाती थी वे, तीन बेर खाती हैं |