Wednesday 27 May 2020

मीराबाई के पद प्र. उ. कक्षा 10

मीराबाई के पद

1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
उ. पहले पद में मीरा बाई ने हरि से विनती करते हुए कहा है कि - हे हरि ! आप समस्त संसार के कष्ट दूर करते हैं, आपने ही भरी सभा में वस्त्र बढ़ाकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की थी | आपने ही अपने परम भक्त नन्हें प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा करने तथा उसके दुष्ट पिता हिरण्यकश्यप के प्राणों का अंत करने के लिए नरसिंह अवतार लिया था | आपने ही नदी में डूबते हुए हाथी के प्राणों की रक्षा की थी तथा ऐरावत को मगरमच्छ के मुँह से बचाया था | हे ईश्वर ! मैं मीराबाई आपकी दासी हूँ | जिस प्रकार आपने इन सभी की रक्षा की ठीक उसी प्रकार मेरे भी सब दुख, क्लेश व कष्ट हर लीजिये |

2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?
उ. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं क्योंकि वे श्री कृष्ण से इतना प्रेम करती हैं कि वे उन्हें देखें बिना जीवित नहीं रह सकती इसलिए वे उनकी सेवा करना चाहती हैं ताकि इसी बहाने वे हर रोज़ उनके दर्शन प्राप्त कर सकें |

3. मीराबाई ने श्री कृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उ. मीराबाई श्री कृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि श्री कृष्ण मोर मुकुट धारण कर पीले वस्त्र पहनकर अत्यंत सुंदर लगते हैं | उन्होंने गले में वैजंती माला पहनी हुई है तथा मुरली बजाकर वृन्दावन में गाय चराते हुए वे अत्यंत मनमोहक प्रतीत होते हैं |

4. मीराबाई की भाषा शैली पृ. सं. 8 अंतिम तीन पंक्तियाँ |

5. वे श्री कृष्ण को प्राप्त करने के लिए क्या क्या कार्य करने को तैयार हैं ?
उ. मीराबाई श्री कृष्ण को पाने के लिए उनकी सेविका बनकर बाग - बगीचे लगाने, फुलवारी लगाने तथा वृन्दावन की सँकरी गलियों में उनका यशोगान करने के लिए तैयार हैं | मीराबाई श्री कृष्ण के दर्शन प्राप्त करने के लिए इतनी व्याकुल हैं कि वे उनके लिए कुछ भी कर सकती हैं |

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