Friday 8 May 2020

प्रश्न उत्तर दुख का अधिकार कक्षा 9

1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है ?
उ. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसके दर्जे व अधिकार का पता चलता है |

2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था ?
उ. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि एक दिन पहले उसके जवान पुत्र की मृत्यु हुई थी, उसके घर में सूतक था |

3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा ?
उ. उस स्त्री को देखकर लेखक को उसपर दया आई तथा उनका मन किया कि वे उससे उसके दुख का कारण पू छें |

4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था ?
उ. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु खेत में एक साँप के काटने के कारण हुई थी |

5. बुढ़िया को कोई भी उधार क्यों नहीं देता ?
उ. बुढ़िया को कोई भी उधार इसलिए नहीं देता क्योंकि उसके इकलौते कमाऊ पुत्र की मृत्यु हो चुकी थी और घर में  कमाकर उधार चुकाने वाला कोई भी नहीं था |

6. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है ?
उ. पोशाक किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है | उसकी पोशाक को देखकर पता चलता है कि वह समाज के किस वर्ग व श्रेणी का है तथा साथ ही पोशाक तन ढँकने के काम भी आती है |

7. पोशाक हमारे लिए कब बंधन औरअड़चन बन जाती है ?
उ. जब हम निचली श्रेणियों में ज़रा झुककर उनके कष्ट जानना तथा समझना चाहते हैं, तब हमारी कीमती पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है |

8. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया ?
उ. लेखक बाज़ार में रोती हुई उस स्त्री से उसके रोने का कारण जानना चाहता था, किन्तु उसके झुकने में उसकी कीमती पोशाक रुकावट बन रही थी | उसे लगा कि यदि उसने झुककर उस स्त्री से बात की तो उसकी कीमती पोशाक देखकर लोग क्या कहेंगे |

9. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था ?
उ. भगवाना किसी की डेढ़ बीघा ज़मीन पर सब्जियाँ उगाता था तथा उन्हें बाज़ार में बेचकर अपने परिवार का पालन - पोषण किया करता था |

10. लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन ही बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चली गई ?
उ. लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन ही बुढ़िया खरबूजे बेचने इसलिए चली गई क्योंकि उसकी बहू को तेज़ बुखार था तथा उसके पोता - पोती भूख से बिलख रहे थे | उसे बहू कि दवाइयों तथा बच्चों के भोजन के लिए कुछ पैसों की आवश्यकता थी |

11. बुढ़िया को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई ?
उ. बुढ़िया को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की भी मृत्यु हो चुकी थी जिसके शोक में वह अढ़ाई मास तक रोती रही तथा बिस्तर से उठ न सकी | जबकि खरबूजे बेचने वाली स्त्री पुत्र की मृत्यु के दूसरे दिन ही बाज़ार में खरबूजे बेचने आ गई क्योंकि वह गरीब थी और उसके पास शोक मनाने का समय नहीं था |

12. बाज़ार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के संबंध में क्या - क्या कह रहे थे ?
उ. इस प्रश्न का उत्तर स्वयं लिखिए |

13. पास - पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला ?
उ. स्वयं लिखिए |

14, लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या - क्या उपाय किए ?
उ. स्वयं लिखिए |

15. लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाज़ा कैसे लगाया ?
उ. उस बुढ़िया के दुख का अंदाज़ा लगाने के लिए लेखक को अपने पड़ोस की एक संभ्रांत महिला की याद आ गई जिसने अपने पुत्र की मृत्यु पर अढ़ाई महीने तक शोक मनाया | वह पुत्र की याद में निरंतर रोती रहती और रो - रो कर बार - बार बेहोश हो जाती थी | तब उसके दुख को याद कर लेखक यह समझ पाया कि माँ चाहे अमीर हो या गरीब, संतान के खोने का दुख सबको समान होता है | इस प्रकार उसने खरबूजे बेचने वाली स्त्री के दुख का अंदाज़ा लगाया |

16. इस पाठ का शीर्षक 'दुख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिये |
उ. इस पाठ में दो माँओं का चित्रण किया गया है | दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो जाती है | संतान की मृत्यु का दुख प्रत्येक माँ के लिए एक समान होता है | किन्तु इस कहानी में संभ्रांत महिला अपने पुत्र की मृत्यु का शोक पूरे अढ़ाई महीनों तक मनाती है क्योंकि उसके पास पर्याप्त धन है, वहीं दूसरी खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया अपने पुत्र को खोने के बावजूद एक दिन भी उसकी मृत्यु का शोक नहीं मना पाती क्योंकि वह बहुत गरीब होती है और उसे खाने तथा अपनी बीमार बहू की दवाइयों के लिए पैसे जुटाने होते हैं | इसलिए वह असहनीय दर्द में होते हुए भी खरबूजे बेचने बाज़ार आ जाती है | उसे जानने वाले भी उसकी सहायता करने की अपेक्षा उसे भला बुरा कहते हैं | समाज की इस विडम्बना को देखते हुए लेखक ने इस कहानी का नाम ' दुख का अधिकार ' बिलकुल सही और सटीक रखा है क्योंकि हम ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ धनी व्यक्ति को तो दुख मनाने का पूरा अधिकार है किन्तु निर्धन को नहीं |

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