Wednesday 15 April 2020

श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कक्षा 9

श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द


प्र. श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द किन्हें कहते हैं ?
उ. श्रुतिसमभिन्नार्थक - यह शब्द चार शब्दों के योग से बना है -
     श्रुति (सुनना) + सम (समान) + भिन्न (अलग - अलग) + अर्थक (अर्थ वाले)
     अर्थात जो शब्द सुनने में समान लगते हैं किन्तु उनके अर्थ अलग - अलग होते हैं, वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द       कहलाते हैं |

कुछ श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द -

1. नियत (निश्चित) - हमारे घर में पूजा के लिए आज का दिन नियत किया गया |
    नीयत (इरादा) - हमें अपनी नीयत हमेशा शुद्ध रखनी चाहिए |

2.खोलना (बंधनमुक्त करना) - पिंजरे का दरवाजा खोल दो, पक्षी को उड़ने दो |
   खौलना (उबलना) - पतीली में पानी खौल रहा है |

3. गिरि (पर्वत) - गिरि से झरना बहता है |
    गिरी (गिरना) - मुझे तुम्हारी पुस्तक कक्षा में गिरी हुई मिली थी |

4. वात (हवा)- बहुत तेज़ वात चल रही है |
    बात (बातचीत) - हमें कक्षा में बात नहीं करनी चाहिए |

5. तरणि (सूर्य) - सुबह तथा शाम के समय तरणि का रंग लाल होता है |
    तरणी (नाव) - मैं तरणी में बैठकर नदी के उस पार गया था |

6. लक्ष (लाख) - मेरे मामाजी ने कौन बनेगा करोड़पति में बारह लक्ष पचास हज़ार रुपए जीते |
    लक्ष्य (निशाना) - लक्ष्य की ओर निशाना साधो |

7. चरम (सबसे अधिक) - वह सफलता के चरम पर है |
     चर्म (चमड़ा) - उसने चर्म के जूते पहने हैं |

8. इति (समाप्त) - इस फिल्म की यहीं पर इति होती है |
    ईति (भय)-ईति किसी भी समस्या का समाधान नहीं|

9. अचार (खाने की खट्टी वस्तु) - मुझे आम का आचार बहुत पसंद है |
    आचार (व्यवहार) - उसका आचार बहुत अच्छा है |

10. बली (शक्तिशाली) - हनुमानजी अत्यंत बली थे |
      बलि (बलिदान) - हमें पशुओं की बलि नहीं देनी चाहिए |

11. अविराम (लगातार) - कल सुबह से अविराम वर्षा हो रही है |
      अभिराम (सुंदर) - श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अभिराम था |

12. व्रत (उपवास) - आज मेरी माताजी का व्रत है |
      वृत्त (घेरा) - इन पौधों के चारों ओर एक वृत्त बना दो |

13. अंबर (आकाश)- अंबर में तारे चमक रहे हैं |
       अंबार (ढेर) - उसके पास तरह - तरह की पुस्तकों का अंबार है |

14. कंगाल (गरीब) - मोहित की बीमारी में इतना पैसा खर्च हुआ कि अब वह कंगाल हो गया |
       कंकाल (हड्डियों का ढाँचा) - उस गरीब ने न जाने कब से भोजन नहीं किया, बिलकुल कंकाल हो गया है |

15.कृपण (कंजूस) - मदन बहुत कृपण है, इतना धन होने पर भी किसी को एक पाई तक नहीं देता |
     कृपाण (कटार) - उसने धारदार कृपाण से रस्सी को एक झटके में ही काट डाला |

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